1 Part
224 times read
3 Liked
कबीर टुक टुक चोंगता, पल पल गयी बिहाय | जिन जंजाले पड़ि रहा, दियरा यमामा आय || ऐ जीव ! तू क्या टुकुर टुकुर देखता है ? पल पल बीताता जाता ...